उत्तराखंड की गढ़वाली बोली/भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने का इंतजार है। आजादी के बाद से लोक बोली व भाषा को उसका हक दिलाने के लिए छोटे-बड़े मंचों पर निरंतर मांग हो रही है, लेकिन आज तक संसद में इसकी पैरवी नहीं हो पाई है। लोक भाषा से जुड़े साहित्यकारों ने भी गढ़वाली बोली-भाषा को उसका मान दिलाने की मांग की है। केंद्रीय मंत्री रहते हुए सतपाल महाराज भी गढ़वाली बोली-भाषा की पैरवी कर चुके हैं।